सिर्फ एक पल पहले
आँगन में
अपनी
उदास
अकेली
मायूस
नखरीली
ख़ामोशी को
पुकारा
फिर पुचकारा
तब सहलाया
और दुलराया
फिर अचानक
आसमां को देख
धूल धूसरित सा
गुफ्तगू करने लगी हूँ
खुद ही ख़ामोशी से ।
ख़ामोशी भी कितनी बातूनी हो जाती हैं मौका मिलते ही
#निविया
#कोईखुशबूउदासकरतीहै
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