अंदाज़ से

 अँधेरा  घना 
रात गहरी 
 बरसती बूंदे 
 सर्द हवाए 

 सुगनी  
सोयी  थी 
 चौखट पर 
 झोपड़ी की 
 इंतज़ार में 


 किसनू 
 सो गया 
 हाथ सेक कर 
 उसकी देह से 
 खुद को पाकर 
 नजर -अंदाज़ सा 


 सुगनी 
 लगा रही हैं 
 मलहम 
 अपनी पीठ 
 और कंधे  पर 
 अंदाज़ से  ....................नीलिमा 

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