कोल्हू का बैल औरत की जात

गुलाबी सपने 
लाल जोड़ा 
धानी चूड़ियां 
काजल के साथ 

सपने सलोने 
पिया मन मोहने 
रात चांदनी 
दिल की बात 

बैंड बाजा बरात
जयमाला का साथ
फेरो की मंत्रो ध्वनि
अचानक वज्रपात

सेहरे का हटना
दुल्हे का पलट'ना
कार छोटी ,लड़की मोटी
निर्णय अकस्मात्

पिता की पगड़ी
आँखों मैं आंसू
रकम की तगड़ी
जोड़ कर दोनों हाथ

आँखों में आंसू
मन में शंकाए
सहमी सी दुल्हन
अरमानो में घात

सुहाग की सेज
अकेली दुल्हन
ताने उल्हाने
सूनी सी रात


परदेस वापिसी
दुल्हन अकेली
बूढ़े ससुराली
नौकरों सी बात

मायका बेपरवाह
कर दी हैं शादी
निभाना ही होगा
खाकर जू ते लात

छल किसी का
बलि किसी की
कोल्हू का बैल
औरत की जात

टिप्पणियाँ

  1. सुन्दर रचना , आभार

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  2. छल किसी का
    बलि किसी की
    कोल्हू का बैल
    औरत की जात
    खोखले जज़्बात
    क्या बात क्या बात क्या बात

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज रविवार (24-06-2013) को अनसुनी गुज़ारिश और तांडव शिव का : चर्चामंच 1286 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. कभी कभी ऐसा भी होता है .... यही सोच बदलनी है ।

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  5. ye paristhiti pahale bhi thodi bahut thi magar aaj jyada barh gai hai. aur usaka karan aaj ki shiksha se naitik shiksha ka bahiskar kar dena hai.nahi to bharatvars me nai bahu ko ghar me aai hui laxmi maanakar sammanit kiya jata tha aur akela bilkul bhi nahi chhoda jata tha jab tak vo sasural me ghulmil nahi jaati thi isi karan shadi ke baad bhi 2 teen bidai tak jashn ka mahol rakha jata tha.

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