श्रृंगार किये
नयी नवेली सी दुल्हन
शर्माते हुए
लजाते हुए
कपकपांते हुए
रखती हैं
साजन की दहलीज पर
अपना पहला कदम
रस्मो की एक
लम्बी श्रृंखला
रिवाजों की डोर
रिश्तो की भीड़
एक अलसाई सी महक
मन की खामोश चहक
चमकते गहनों का बोझ
नए नए कपड़ो की मौज
फिर भी
अजनबियत का अहसास
फिर भी कुछ
सौंधा सा माहौल
कुछ कुछ अपना सा
ढूढती निघाहे
किसी अपने को
अपनों सी भीड़ में
कनखियों से
मिलन के इंतज़ार में
नयी नवेली सी
श्रृंगार किये
दुल्हन ......................... नीलिमा
Kasturi (कस्तूरी) sanjha kavy sangrah se meri likhi nazm
नयी नवेली सी दुल्हन
शर्माते हुए
लजाते हुए
कपकपांते हुए
रखती हैं
साजन की दहलीज पर
अपना पहला कदम
रस्मो की एक
लम्बी श्रृंखला
रिवाजों की डोर
रिश्तो की भीड़
एक अलसाई सी महक
मन की खामोश चहक
चमकते गहनों का बोझ
नए नए कपड़ो की मौज
फिर भी
अजनबियत का अहसास
फिर भी कुछ
सौंधा सा माहौल
कुछ कुछ अपना सा
ढूढती निघाहे
किसी अपने को
अपनों सी भीड़ में
कनखियों से
मिलन के इंतज़ार में
नयी नवेली सी
श्रृंगार किये
दुल्हन ......................... नीलिमा
Kasturi (कस्तूरी) sanjha kavy sangrah se meri likhi nazm
आपकी लिखी रचना मुझे बहुत अच्छी लगी .........
जवाब देंहटाएंबुधवार 16/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
में आपकी प्रतीक्षा करूँगी.... आइएगा न....
धन्यवाद!
jarur aaoongi yashoda aabhar aapka
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : रावण जलता नहीं
विजयादशमी की शुभकामनाएँ .
SHUKRIYA RAJEEV JI
हटाएंइस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-15/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -25 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
SHUKRIYA RAJEEV JI
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंअभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
शुक्रिया कालिपद जी
हटाएंबहुत प्यारी पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंshukriya Rahul
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंshukriya shorya
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