चीखे !!
चीखे !!
 चिल्लाहटे!!! 
 रूदन !!
कराहटे!!
 मोहताज़ नही 
किसी ध्वनि की 
हृदय के किसी 
अंदरूनी कोने में भी  
 घर बना लेती हैं कभी 
 चुपचाप !!
 दर्द 
 वेदना 
 पीड़ा 
 हर बार बयां हो 
 संभव नही 
 चेतना भी 
 छिपा लेती हैं 
इनको भीतर अपने 
 हर बार 
 कई बार 
 आँखे अक्सर वोह कहती हैं 
 जो लब  छिपा जाते हैं 
 लब अक्सर वोह कहते हैं 
 जो आँखे बहा ले जाती हैं


इस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-29/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -36 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
आभार
हटाएंइस पोस्ट की चर्चा, मंगलवार, दिनांक :-29/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -36 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
आभार
हटाएंआँखे अक्सर वोह कहती हैं
जवाब देंहटाएंजो लब छिपा जाते हैं
लब अक्सर वोह कहते हैं
जो आँखे बहा ले जाती हैं
आपकी लेखनी तो गज़ब का जादू जानती है
शुक्रिया विभा जी
हटाएंगहन ..... व्यथा को सधे शब्दों में उकेरा है .....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मोनिका जी
हटाएंगहन अभिव्यक्ति ...........
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कौशल जी
हटाएंव्यथा कई रूप लेती है ,कभी चीख तो कभी आंसू ---बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
शुक्र्रिया कालीपद जी
हटाएंइस खामिशी की आवाज़ कभी कभी बहरा कर देती है ...
जवाब देंहटाएंबाहर गहरा एहसास छोड़ते शब्द ..
शुक्रिया दिगंबर जी
हटाएंसुन्दर पंक्तियाँ, धन्यवाद।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : "प्रोजेक्ट लून" जैसे प्रोजेक्ट शुरू होने चाहिए!!
चित्तौड़ की रानी - महारानी पद्मिनी
शुक्रिया हर्ष जी
हटाएंशुक्रिया
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